Pension: केंद्र में 30 लाख NPS कर्मियों में से 30000 ने भी UPS का नहीं दिया विकल्प, पुरानी पेंशन की उठी मांग

केंद्र सरकार ने एनपीएस कर्मचारियों को 30 जून तक यूपीएस में शामिल होने का विकल्प दिया, लेकिन अधिकांश कर्मचारी अब तक असमंजस में

केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) के तहत आने वाले कर्मचारियों को 30 जून, 2025 तक एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) को चुनने का विकल्प दिया है। हालांकि, अभी तक लगभग 30 लाख एनपीएस कर्मचारियों में से केवल 30,000 ने ही इस विकल्प को अपनाया है। यह संख्या कुल कर्मचारियों का एक प्रतिशत भी नहीं है।

 


 

सरकार ने 20 मई को यूपीएस कैलकुलेटर लॉन्च किया है, जिससे कर्मचारी एनपीएस और यूपीएस के बीच पेंशन लाभों की तुलना कर सकें। इसका उद्देश्य कर्मचारियों को सूचित निर्णय लेने में सहायता करना है। लेकिन ग्राउंड पर इसका असर बेहद कम नजर आ रहा है।

यूपीएस में विश्वास की कमी

‘नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम भारत’ के अध्यक्ष डॉ. मंजीत सिंह पटेल के अनुसार, यूपीएस की मौजूदा शर्तें कर्मचारियों को रास नहीं आ रही हैं। उनका कहना है कि योजना में अनिश्चितता बहुत अधिक है — किसी के लिए यह अनुमान लगाना संभव नहीं कि 20-25 साल बाद एनपीएस और यूपीएस में से कौन-सी योजना लाभकारी साबित होगी।

डॉ. पटेल का कहना है कि पेंशन की गणना लंबे समय तक जीवित रहने पर निर्भर करती है। यदि कोई कर्मचारी रिटायरमेंट के कुछ ही वर्षों बाद मृत्यु को प्राप्त हो जाए, तो यूपीएस के तहत उसकी पत्नी को केवल आंशिक पेंशन मिलेगी और उसके बाद सारी सुविधा बंद हो जाएगी। इसके विपरीत, एनपीएस में कर्मचारी की मृत्यु के बाद भी नॉमिनी को एक बड़ा फंड मिलता है।

वित्तीय तुलना के उदाहरण से स्पष्ट अंतर

डॉ. पटेल ने एक उदाहरण देते हुए बताया कि यदि कोई कर्मचारी 2008 में नौकरी शुरू कर 2043 में रिटायर होता है, तो एनपीएस में उसका कुल कॉरपस लगभग 3.5 करोड़ रुपये हो सकता है और उसे हर महीने 70,000 रुपये की पेंशन मिलेगी। उसकी पत्नी को भी उतनी ही राशि की पेंशन मिलेगी और नॉमिनी को 1.4 करोड़ रुपये तक मिल सकते हैं।

वहीं अगर वही कर्मचारी यूपीएस का विकल्प चुनता है, तो उसे अधिक मासिक पेंशन (लगभग 1.1 लाख रुपये + डीए) मिल सकती है, लेकिन यह लाभ सिर्फ तभी है जब वह लंबे समय तक जीवित रहे। उसकी मृत्यु के बाद पत्नी को केवल 66,600 रुपये + डीए की पेंशन मिलेगी और नॉमिनी को कोई राशि नहीं मिलेगी।

कर्मचारी संगठनों की राय और मांग

स्टाफ साइड की राष्ट्रीय परिषद (जेसीएम) के सदस्य और अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) के महासचिव सी. श्रीकुमार का कहना है कि कर्मचारियों में यूपीएस के प्रति उत्साह नहीं है। ज्यादातर कर्मचारी स्पष्ट रूप से पुरानी पेंशन स्कीम (ओपीएस) की बहाली की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा कैलकुलेटर लाने के बावजूद कर्मचारी यूपीएस को लेकर भ्रमित हैं और इसकी जटिलता से बचना चाहते हैं।

कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लाइज एंड वर्कर्स के महासचिव एसबी यादव ने कहा कि यह चिंता की बात है कि 10 प्रतिशत कर्मचारी भी यूपीएस में शामिल होने के लिए तैयार नहीं हैं। उन्होंने कहा कि जेसीएम की केंद्र सरकार के साथ बैठक में भी पुरानी पेंशन स्कीम की बहाली का मुद्दा प्रमुखता से उठाया गया है।

निष्कर्ष

यूपीएस को लेकर सरकारी कर्मचारियों में गहरी असहमति और आशंका है। कर्मचारी संगठनों का मानना है कि जब तक यूपीएस में पारदर्शिता और दीर्घकालिक सुरक्षा की गारंटी नहीं दी जाती, तब तक एनपीएस के विकल्प को अपनाना जोखिमपूर्ण रहेगा। कर्मचारियों की प्राथमिकता अब भी ओपीएस की बहाली बनी हुई है।


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