देशभर के लगभग 50 लाख केंद्र सरकार के कर्मचारी और 65 लाख पेंशनर्स इन दिनों बेहद असमंजस की स्थिति में हैं। इसकी वजह है 8वें वेतन आयोग (8th Pay Commission) को लेकर सरकार की जारी चुप्पी। जनवरी 2025 में जहां संकेत मिले थे कि सरकार 8वें वेतन आयोग को मंजूरी देने जा रही है, वहीं जून के अंत तक भी इसकी न तो औपचारिक घोषणा हुई है और न ही आयोग के कार्यादेश (Terms of Reference - ToR) सामने आए हैं। इससे कर्मचारियों में असंतोष गहराता जा रहा है।
NC-JCM का पत्र: आयोग गठन में देरी पर चिंता
कर्मचारियों की ओर से सरकार से संवाद बनाए रखने वाले प्लेटफॉर्म नेशनल काउंसिल – जेसीएम (NC-JCM) के स्टाफ साइड सचिव शिव गोपाल मिश्रा ने 18 जून को कैबिनेट सचिव को एक पत्र भेजकर इस मुद्दे पर चिंता जताई। उन्होंने लिखा कि जनवरी 2025 में डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग (DoPT) ने 8वें वेतन आयोग को लेकर संकेत दिया था और यह भी कहा गया था कि Terms of Reference को अंतिम रूप दिया जा रहा है। लेकिन इसके बाद से अब तक कोई भी ठोस प्रगति नहीं हुई है।
पेंशनर्स की चिंताएं भी बढ़ीं
पत्र में एक विशेष चिंता यह भी जाहिर की गई है कि सरकार द्वारा हाल में पेश किए गए वित्त विधेयक में यह प्रावधान जोड़ा गया है कि 8वें वेतन आयोग के अंतर्गत पेंशनर्स को मिलने वाले लाभ सरकार के विवेक पर निर्भर होंगे। इससे पेंशनभोगियों में यह आशंका गहराई है कि कहीं उन्हें आयोग के लाभ से वंचित न कर दिया जाए। चूंकि पहले के वेतन आयोगों में पेंशनर्स को भी समान लाभ मिला है, ऐसे में यह नया रुख अस्वीकृति का संकेत माना जा रहा है।
क्या हो रही है देरी की वजह?
8वें वेतन आयोग की आधिकारिक घोषणा और ToR में देरी को लेकर दो मुख्य कारण माने जा रहे हैं। पहला, सरकार पर वित्तीय दबाव है क्योंकि आयोग लागू होने पर लाखों कर्मचारियों की सैलरी और भत्तों में वृद्धि होगी। दूसरा, सरकार चुनावी बजट और आगामी योजनाओं पर ध्यान केंद्रित कर रही है, जिससे आयोग की प्रक्रिया को प्राथमिकता नहीं दी गई है।
क्या कहती है पिछली प्रक्रिया?
7वें वेतन आयोग के उदाहरण को देखें तो:
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सरकार ने मार्च 2014 में आयोग के लिए ToR जारी किया था।
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आयोग ने नवंबर 2015 में रिपोर्ट दी थी।
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रिपोर्ट को लागू करने में जून 2016 तक समय लगा।
इस प्रक्रिया में लगभग ढाई साल का समय लगा था। यदि मौजूदा आयोग की प्रक्रिया में इसी प्रकार की देरी होती है, तो यह 2027 तक ही लागू हो पाएगा।
8वें वेतन आयोग की देरी से क्या होगा असर?
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कर्मचारियों को नए बेसिक पे और फिटमेंट फैक्टर से मिलने वाला लाभ विलंबित होगा।
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महंगाई भत्ते (DA) की गणना पुरानी दरों से जारी रहेगी।
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प्रमोशन, एलाउंस, ग्रेच्युटी, पेंशन आदि में संशोधन भी देर से लागू होंगे।
मांगें क्या हैं?
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सरकार आयोग की आधिकारिक घोषणा करे।
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ToR को सार्वजनिक किया जाए ताकि सुझाव देने की प्रक्रिया शुरू हो सके।
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पेंशनर्स को स्पष्ट रूप से आयोग के अंतर्गत लाभ पाने का आश्वासन मिले।
क्या यह रणनीतिक चुप्पी है?
विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार फिलहाल कोई वादा करने से बच रही है क्योंकि यह एक बड़ा वित्तीय निर्णय है। साथ ही, वेतन आयोग से जुड़े मुद्दों को आमतौर पर बजट के आसपास या चुनाव से पहले अंतिम रूप दिया जाता है।
आगे क्या हो सकता है?
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सितंबर से दिसंबर 2025 के बीच ToR जारी हो सकता है।
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आयोग का गठन 2026 की शुरुआत में संभव है।
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अगर यही गति रही तो आयोग की रिपोर्ट 2027 के मध्य तक आएगी और उसी साल के अंत तक लागू हो सकती है।
निष्कर्ष
8वें वेतन आयोग को लेकर कर्मचारियों और पेंशनर्स की बेचैनी स्वाभाविक है। सरकार यदि समयबद्ध प्रक्रिया अपनाए, तो 2026 से नए वेतनमान के साथ लाखों कर्मचारियों को राहत मिल सकती है। लेकिन जिस तरह से अभी तक अस्पष्टता बनी हुई है, उससे यह स्पष्ट है कि केंद्र सरकार इस विषय में या तो रणनीतिक चुप्पी साधे हुए है या फिर इस निर्णय को टालने की मंशा रखती है।

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